Ayurveda Principles: Ayurveda General Knowledge Questionnaire

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Ayurveda Principles: Ayurveda General Knowledge Questionnaire
आयुर्वेद सिद्धान्त: आयुर्वेद सामान्य ज्ञान प्रश्नावली

(1) निम्न लिखित में किसके संयोग को ‘आयु’ कहते है।

(क) शरीर, सत्व, बुद्धि, आत्मा
(ख) सत्व, आत्मा, शरीर
(ग) शरीर, बुद्धि, आत्मा
(घ) शरीर, इन्द्रिय, सत्व, आत्मा
(2) ‘चेतनानुवृत्ति’ किसका पर्याय है।

(क) मन
(ख) आत्मा
(ग) शरीर
(घ) आयु
(3) निम्नलिखित में से कौनसा कथन सत्य हैं ?

(क) ‘नित्यग’ आयु का पर्याय है एंवकाल का भेद है।
(ख) ‘अनुबन्ध’ आयु का पर्याय है एंव दोषका भेद है।
(ग) हितायु, अहितायु, सुखायु एवं असुखायु के लक्षणों का वर्णन चरक संहिता के अर्थेदशमहामूलीय अध्याय में है
(घ) उपर्युक्त सभी
(4) ‘सत्यवादिन’ कौनसी आयु का लक्षण है।

(क) हितायु
(ख) अहितायु
(ग) सुखायु
(घ) दुखायु
(5) समदोषः समाग्निश्च समधातुमलक्रियः। प्रसन्नात्मेन्द्रिमनाः स्वस्थ इत्यभिधीयते।- उपरोक्त स्वस्थ की परिभाषा का वर्णन सुश्रुतसंहिता के कौनसे अध्याय में मिलता है।

(क) शोणित वर्णनीय
(ख) दोषधातुमल क्षय वृद्धि विज्ञानीय
(ग) वेदोत्पत्ति
(घ) शिष्योपनीयन अध्याय
(6) ‘वातपित्तकफा दोषाः शरीरव्याधि हेतवः’ – किस आचार्य का कथन हैं।

(क) चरक
(ख) सुश्रुत
(ग) वाग्भट्ट
(घ) काश्यप
(7) ‘दोषो की पांच्चभौतिकता’ का वर्णन किस आचार्य ने किया है।

(क) चरक
(ख) सुश्रुत
(ग) वृद्धवाग्भट्ट
(घ) शांरर्ग्धर
(8) ’आग्नेय पित्तम्’ – किस आचार्य का कथन है।

(क) चरक
(ख) सुश्रुत
(ग) वृद्ध वाग्भट्ट
(घ) चक्रपाणि
(9) अष्टांग संग्रहकार के अनुसार ‘वात’ दोष का निर्माण कौनसे महाभूत से होता है ?

(क) वायु
(ख) आकाश
(ग) वायु और आकाश
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
(10) षडक्रियाकाल निम्नलिखित में से किस आचार्य का योगदान माना जाताहै ?

(क) चरक
(ख) सुश्रुत
(ग)वाग्भट्ट
(घ) काश्यप
(11) ‘ख वैगुण्य’ का कारण है ?

(क) दोष
(ख)धातु
(ग)मल
(घ) निदान
(12) षडक्रियाकाल के कौनसे काल में व्याधि के पूर्वरूप प्रकट हो जाते है।

(क) संचय
(ख) प्रकोप
(ग) प्रसर
(घ) स्थानासंश्रय
(13) ‘विपरीत गुणै इच्छाः’ – षडक्रियाकाल के कौनसे काल का लक्षणहै।

(क) संचय
(ख) प्रकोप
(ग) प्रसर
(घ) स्थानासंश्रय
(14) ‘अन्नद्वेष, ह्नदयोत्क्लेश’ षडक्रियाकाल में कफ की कौनसी अवस्था के लक्षण है।

(क) संचय
(ख) प्रकोप
(ग) प्रसर
(घ) स्थानासंश्रय
(15) षडक्रियाकाल के कौनसे काल में ‘दोष-दूष्य सम्मूर्च्छना’ पूर्ण हो जाती है।

(क) स्थानासंश्रय
(ख) व्यक्तावस्था
(ग) भेदावस्था
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
(16) वातका स्थान ‘अस्थि-मज्जा’ किस आचार्य ने बतलायाहै ?

(क) चरक
(ख) सुश्रुत
(ग) वाग्भट्ट
(घ) काश्यप
(17) पित्तका स्थान ‘हृदय’ किस आचार्य ने मानाहै ?

(क) चरक
(ख) सुश्रुत
(ग) वाग्भट्ट
(घ) काश्यप
(18) वाग्भट्टानुसार ’पित्त’ का मुख्य स्थान है।

(क) आमाशय
(ख) पक्वामाशय मध्य
(ग) नाभि
(घ) उर्ध्व प्रदेश
(19) ’उत्साह’ किस दोष का कर्म है।

(क) वात
(ख) पित्त
(ग)कफ
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
(20) चरकानुसार ‘ज्ञान-अज्ञान’ में कौनसा दोष उत्तरदायी होता है।

(क) वात
(ख) पित्त
(ग) कफ
(घ) आम
(21) वातका गुण ‘दारूण’ किसने माना है।

(क) चरक
(ख) सुश्रुत
(ग) वाग्भट्ट
(घ) कुश
(22) पित्त को ’मायु’ की संज्ञा किसने दी है।

(क) चरक
(ख) सुश्रुत
(ग) ऋग्वेद
(घ) अर्थववेद
(23) विदग्धावस्था में कफ का रस होता है।

(क) कटु
(ख) मधुर
(ग) लवण
(घ) अम्ल
(24) चरकानुसार ‘वमन’ कौनसी वायु का कर्म है।

(क) प्राण वायु
(ख) उदानवायु
(ग) व्यान वायु
(घ) समान वायु
(25) ‘स्वेद विस्रावण’ कौनसी वायु का कर्म है।

(क) प्राण वायु
(ख) उदानवायु
(ग) व्यान वायु
(घ) समान वायु
(26) ‘स्वेददोषाम्बुवाहीनि स्रोतांसि समधिष्ठितः’- किसके लिए कहा गया है।

(क) पाचक पित्त
(ख) समान वायु
(ग) व्यान वायु
(घ) रस धातु
(27) ’कामशोक भयद्वायुः क्रोधात् पित्तम् लोभात् कफम्’- किस आचार्य ने कहा है।

(क) चरक
(ख) सुश्रुत
(ग) हारीत
(घ) माधव
(28) भेल के अनुसार बृद्धिवैशेषिक आलोचक पित्त का स्थान होता है ?

(क) हृदय
(ख) मूर्धा
(ग) श्रृंगाटक
(घ) भ्रू मध्य
(29) आचार्य वाग्भ्ट्ट के अनुसार ‘रंजक पित्त’ का स्थान क्या है ?

(क) यकृत प्लीहा
(ख) आमाशय
(ग) यकृत
(घ) प्लीहा
(30) आचार्य वाग्भट्टके अनुसार ‘बोधक कफ’ का स्थान क्या है ?

(क) रसना
(ख) जिहृवामूल
(ग) कण्ठ
(घ) जिहृवामूल,कण्ठ
(31) आर्तवको ‘अष्टम धातु’ किस आचार्य ने माना है?

(क) भावप्रकाश
(ख) चक्रपाणि
(ग) काश्यप
(घ) शांरर्ग्धर
(32) रस धातु के 2 भेद – (1) स्थायी रस,(2) पोषक रस – किस आचार्य ने माने है?

(क) भावप्रकाश
(ख) चक्रपाणि
(ग) डल्हण
(घ) शांरर्ग्धर
(33) ‘शरीरपुष्टि’ कौनसी धातु का कार्य है।

(क) रस धातु
(ख) रक्त धातु
(ग) मांस धातु
(घ) मेद धातु
(34) ‘एककाल धातु पोषणन्याय’ के प्रवर्तक है।

(क) अरूणदत्त
(ख) सुश्रुत
(ग) दृढबल
(घ) भाव प्रकाश
(35) सुश्रुतानुसार स्त्रियों में रस से आर्त्तव निर्माण कितना समय लगता है।

(क) एक मास
(ख) एक पक्ष
(ग) सप्त अहोरात्र
(घ) षड् अहोरात्र
(36) चरकानुसार ’स्नायु व वसा’ यह क्रमशः किसधातु की उपधातुएॅं हैं ?

(क) मांस, मज्जा
(ख) मेद,मज्जा,
(ग) मांस, मेद
(घ) मेद, मांस
(37) ‘दोषधातुवहाः’ है ?

(क) सिरा
(ख) धमनी
(ग) नाडी
(घ) स्रोत्रस
(38) वर्णानुसार ओज के 3 भेद – 1.श्वेत वर्ण 2.तैल वर्ण 3.क्षौद्र वर्ण- किस आचार्य ने बतलाए है।

(क) चरक
(ख) चक्रपाणि
(ग) सुश्रुत
(घ) डल्हण
(39) दोष च्यवनं वक्रियासन्निरोध – ओज की किस व्यापद् अवस्था कालक्षण है।

(क) ओजक्षय
(ख) ओज विस्स्रंस
(ग) ओज व्यापत
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
(40) ओज के 12 स्थानों का वर्णन किस आचार्य ने किया है।

(क) हारीत
(ख) चक्रपाणि
(ग) भेल
(घ) डल्हण
(41) वायु और अग्नि को धारण करना – किसका कार्य हैं ?

(क) पुरीष
(ख) मूत्र
(ग) स्वेद
(घ) उपर्युक्त सभी
(42) सुश्रुतानुसार मूत्र निर्माण प्रक्रिया कहॉ से शुरू होती है।

(क) वृक्क में
(ख) वस्ति में
(ग) अमाशय में
(घ) पक्वाशय में
(43) ‘स्वेद निर्माण प्रक्रिया’ का वर्णन किस आचार्य किया है ?

(क) भावप्रकाश
(ख) चक्रपाणि
(ग) वाग्भट्ट
(घ) शांरर्ग्धर
(44) सुश्रुतानुसार वात का प्रकोप किस ऋतु में होता है।

(क) बर्षा
(ख) बसंत
(ग) ग्रीष्म
(घ) प्रावृट्
(45) चरक मतानुसार पित्त का निर्हरण विरेचन द्वारा किस मास में करना चाहिए ?

(क) श्रावण मास
(ख) चैत्र मास
(ग) आषाढ मास
(घ) मार्ग शीर्ष मास
(46) वातशामक श्रेष्ठ रस होता है।

(क) मधुर
(ख) अम्ल
(ग) लवण
(घ) कषाय
(47) ‘तत्रास्थानि स्थितो वायुः, असृक्स्वेदयोः पित्तम्, शेषेषु तु श्लेष्मा।’ – किस आचार्य का कथन है।

(क) चरक
(ख) सुश्रुत
(ग) वाग्भट्ट
(घ) शारंर्ग्धर
(48) दोषों के कोष्ठ से शाखा और शाखा से कोष्ठ में गमनके कारण सर्वप्रथम किस आचार्य ने बतलाए है।

(क) चरक
(ख) सुश्रुत
(ग) वाग्भट्ट
(घ) शारंर्ग्धर
(49) चरक ने दोषों के शाखा से कोष्ठ में गमन के कितने कारण बताए है।

(क) 3
(ख) 4
(ग) 5
(घ) इनमें से कोई नहीं
(50) चरक ने दोषों के शाखा से कोष्ठ में गमन का कौनसा कारण नहीं बताया है।

(क) वृद्धि
(ख) विष्यन्दन
(ग) व्यायाम
(घ) वायुनिग्रह
(51) चरकानुसार ’धमनी शैथिल्य’ किसका लक्षण है।

(क) मांसक्षय
(ख) मेदक्षय
(ग) रक्तक्षय
(घ) मज्जाक्षय
(52) चरकानुसार ‘सर्वांगनेत्र गौरव’ं किसका लक्षण है।

(क) मांसक्षय
(ख) मांसवृद्धि
(ग) मज्जाक्षय
(घ) मज्जावृद्धि
(53) ‘सन्धिवेदना’ किसका लक्षण है ?

(क) रक्तक्षय
(ख) कफक्षय
(ग) मांसाक्षय
(घ) मेदक्षय
(54) वातवृद्धि का लक्षण नहीं है।

(क) निद्रानाश
(ख) कार्श्य
(ग) मूढ संज्ञता
(घ) गात्र स्फुरण
(55) ‘वस्तितोद’ किसका लक्षण है ?

(क) मूत्रक्षय
(ख) मूत्रवृद्धि
(ग) पुरीषवृद्धि
(घ) अ, ब दोनों का
(56) ‘घर्मान्ते’ कौनसी ऋतु का पर्याय है।

(क) शरद
(ख) प्रावृट्
(ग) ग्रीष्म
(घ) बर्षा
(57) चरक ने निदान के कितने भेद बताए है।

(क) 2
(ख) 3
(ग) 4
(घ) उपर्युक्त सभी
(58) द्विविधं हि पूर्वरूपं भवति – सामान्य विशिष्टं च। – किस आचार्य का कथन है।

(क) चरक
(ख) सुश्रुत
(ग) माधव
(घ) अष्टांग हृदय
(59) ‘भाविव्याधि बोधक एव र्लिंंम् पूर्वरूपम्’ – किस आचार्य का कथन है।

(क) चक्रपाणि
(ख) डल्हण
(ग) वाग्भट्ट
(घ) माधव निदान
(60) व्यंजन और संस्थान किसके पर्याय है।

(क) हेतु
(ख) पूर्वरूप
(ग) रूप
(घ) सम्प्राप्ति
(61) उपशय के कितने भेद बताये गये है।

(क) 15
(ख) 16
(ग) 17
(घ) 18
(62) उदावर्त में प्रवाहण करना- उपशय का कौनसा प्रकार है।

(क) हेतुविपरीत
(ख) व्याधि विपरीत
(ग) हेतुविपरीतार्थकारी
(घ) व्याधिविपरीतार्थकारी
(63) व्यायाम जनित संमूढ वात में जल में तैरना – उपशय का कौनसा प्रकार है।

(क) हेतुविपरीतार्थकारी
(ख) व्याधिविपरीतार्थकारी
(ग) उभयविपरीतार्थकारी
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
(64) वातज उन्माद मे भयदर्शन। – उपशय का कौनसा प्रकार है।

(क) हेतुविपरीत
(ख) व्याधि विपरीत
(ग) हेतुविपरीतार्थकारी
(घ) व्याधिविपरीतार्थकारी
(65) चरक ने ‘अनुपशय’का अर्न्तभाव किसमें किया है।

(क) निदान
(ख) उपशय
(ग) रूप
(घ) पूर्वरूप
(66) जाति और आगति किसके पर्याय है।

(क) हेतु
(ख) पूर्वरूप
(ग) रूप
(घ) सम्प्राप्ति
(67) विधि जाति का सर्वप्रथम वर्णन किस संहिता में किया गयाहै।

(क) चरक
(ख) सुश्रुत
(ग) माधव
(घ) अष्टांग हृदय
(68) ‘दोषों की अंशांश कल्पना’ किस सम्प्राप्ति के अंतगर्त आती है।

(क) संख्या
(ख) प्रधान
(ग) विधि
(घ) विकल्प
(69) तैलबिन्दु मूत्रपरीक्षा किस आचार्य ने बतलायी है ?

(क) योग रत्नाकर
(ख) चक्रपाणि
(ग) शांरर्ग्धर
(घ) डल्हण
(70) मूत्र में तैल बिन्दु डालते ही न फैलकर एक स्थान पर स्थिर रहे तब वह रोग होगा ?

(क) साध्यरोग
(ख) कष्टसाध्य रोग
(ग) याप्य रोग
(घ) असाध्य रोग
(71) नाडीपरीक्षा का वर्णन शांरर्ग्धरसंहिता के कौनसे खण्ड मेंहै।

(क) पूर्व खण्ड
(ख) मध्य खण्ड
(ग) उत्तर खण्ड
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
(72) लाव, तित्तर और बत्तखके समान नाडी की गति किस दोष में है।

(क) वात दोष में
(ख) पित्त दोष में
(ग) कफ दोष में
(घ) सन्निपातजदोष में
(73) षडविध परीक्षा किस आचार्य ने बतलायी है ?

(क) योग रत्नाकर
(ख) चक्रपाणि
(ग) भावप्रकाश
(घ) सुश्रुत
(74) विपाक की परिभाषा सर्वप्रथम किस आचार्य ने दी है ?

(क) वाग्भट्ट
(ख) चक्रपाणि
(ग) भावप्रकाश
(घ) सुश्रुत
(75) रस के विशेष ज्ञान में कारणहै।

(क) जल, वायु, पृथ्वी
(ख) पृथ्वी, जल अग्नि
(ग) आकाश, जल, पृथ्वी
(घ) आकाश, वायु, अग्नि
(76) चरक ने कौनसा कोष्टांग नहीं माना हैं।

(क) गर्भाशय
(ख) उण्डूक
(ग) फुफ्फुस
(घ) उपर्युक्त सभी
(77) डिम्भ को कोष्टांग किसने माना हैं।

(क) चरक
(ख) सुश्रुत
(ग) अष्टांग हृदय
(घ) अष्टांग संग्रह
(78) पक्वाशय कोष्टांगके स्थान पर फुफ्फुस सम ‘‘निवाप्नहन’’ कोष्ठांग किसने बताया है।

(क) भाव प्रकाश
(ख) भेल
(ग) हारीत
(घ) वाग्भट्ट
(79) सुश्रुतानुसार ‘हृदय’ का प्रमाण होता है ?

(क) स्वपाणितल कुच्चित संमिताणि
(ख) 4 अंगुल
(ग) 2 अंगुल
(घ) स्वपाणितल
(80) शांरर्ग्धर के अनुसार प्राण वायु का स्थान होता है ?

(क) हृदय
(ख) मूर्धा
(ग) उरः
(घ) नाभि
(81) आहार पाक में ‘अम्लपाक अवस्था‘ कहॉ सम्पन्न होती है ?

(क) ग्रहणी
(ख) आमाशय
(ग) पक्वाशय
(घ) अ, स दोनों में
(82) ‘इन्द्रिय पंचपंचक’ का वर्णन किस आचार्य ने कियाहै।

(क) चरक
(ख) सुश्रुत
(ग)वाग्भट्ट
(घ) उपरोक्तसभी
(83) ‘अक्षि’है ?

(क) इन्द्रिय
(ख) इन्द्रियार्थ
(ग) इन्द्रियाधिष्ठान
(घ) इन्द्रिय द्रव्य
(84) किस इन्द्रिय की व्याप्ति सभी इन्द्रियों में है ?

(क) चक्षु
(ख) घ्राण
(ग) त्वक्
(घ) रासना
(85) गर्भशय्या की आकृति कैसी रहती है।

(क) शंखनाभिसम
(ख) रोहितमत्स्य सम मुखाकृति
(ग) मत्स्यमुख समाकृति
(घ) शंखसमाकृति।
(86) गर्भाशय में अपरा गर्भाशय के किस भाग से जुडा रहता है।

(क) ऊपरी भाग
(ख) निचले भाग
(ग) मध्य भाग
(घ) उर्पयुक्त में कोई नहीं
(87) फुफ्फुस कौनसी वायु का आधार है ?

(क) प्राण वायु
(ख) उदान वायु
(ग)व्यान वायु
(घ) समान वायु
(88) पाचक पित्त का प्रमाण तिल के समान किसने बतलाया है ?

(क) चक्रपाणि
(ख) डल्हण
(ग) वाग्भट्ट
(घ) शारंर्ग्धर
(89) शारंर्ग्धर के अनुसार प्लीहा शरीर के कौनसे भाग स्थित होता है ?

(क) वाम भाग
(ख) दक्षिण भाग
(ग) दोनों
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
(90 ) Natural pacemaker of the hear t is

(क) S.A. node
(ख) A.V. node
(ग) Bunddle of His
(घ) None of these
(91 ) Tricuspid valve is present in between

(क) Right atrium & right ventricle
(ख) Left atrium & left ventricle
(ग) Right atrium & left ventricle
(घ) Left atrium & right ventricle
(92 ) Weight of Right lung is

(क) 1200 gm
(ख) 650 g m
(ग) 625 gm
(ग) 575 gm
(93) Furmula of VITAL CAPACITY is

(क) IRV + TV
(ख) ERV + RV
(ग) IC + ERV
(घ) IC + FRC
(94 ) The Right & left lobes of the liver is separated by

(क) Round ligament
(ख) Falciform ligament
(ग) Caudate lobe
(घ) Popliteal ligament
(95 ) Which is the largest gland in the body

(क) Liver
(ख) Pancreas
(ग) Spleen
(घ) Pituitary
(96 ) Kuffer Cells are found in

(क) Liver
(ख) Kidney
(ग) Lung
(घ) Heart
(97 ) Weight of Spleen is

(क) 7ounce
(ख) 6ounce
(ग) 5ounce
(घ) None
(98 ) Islets of Langerhans arepresent in

(क) Pancrease
(ख) Liver
(ग) Kideny
(घ) Heart
(99 ) The functional & structural unit of kidey is

(क)Nephron
(ख) Bowman’scapsule
(ग) Glomerulus
(घ) P.C.T.
(100 ) Portal vein is related to which organ

(क) Liver
(ख) Heart
(ग) Spleen
(घ) Kidney

उत्तरमाला

  1. क 21. घ 41. क 61. घ 81. क
  2. घ 22. घ 42. घ 62. ख 82. क
  3. घ 23. ग 43. क 63. ग 83. ग
  4. ग 24. ख 44. घ 64. ग 84. ग
  5. ख 25. ग 45. घ 65. क 85. ख
  6. घ 26. ख 46. ग 66. घ 86. क
  7. ग 27. घ 47. ग 67. क 87. ख
  8. ग 28. ग 48. क 68. घ 88. घ
  9. ग 29. ख 49. ग 69. क 89. क
  10. ख 30. क 50. ग 70. ख 90. क
  11. क 31. क 51. क 71. क 91. क
  12. घ 32. ख 52. घ 72. घ 92. ग
  13. क 33. ग 53. ग 73. घ 93. ग
  14. ख 34. क 54. ग 74. क 94. ख
  15. ख 35. क 55. घ 75. घ 95. क
  16. घ 36. घ 56. ख 76. घ 96. क
  17. ख 37. क 57. ख 77. ग 97. क
  18. ग 38. घ 58. ख 78. ख 98. क
  19. क 39. ख 59. घ 79. क 99. क
  20. ग 40. ग 60. ग 80. घ 100. क
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