श्रावस्ती की खोज

0 0
Read Time:3 Minute, 46 Second
श्रावस्ती की खोज:
अच्छा किया बौद्ध चीनी यात्रियों ने कि बौद्ध – स्थलों के बारे में रत्ती – रत्ती लिख दिया, दूरी नाप दिया, दिशा बता दिया, वरना एलेक्जेंडर कनिंघम को कुछ पता नहीं चलता। एलेक्जेंडर कनिंघम चीनी यात्रियों को पढ़ते गए दूरी और दिशा देखते गए श्रावस्ती की खुदाई कराते गए। एलेक्जेंडर कनिंघम ने 1863 में श्रावस्ती की पहचान की, बताया कि अभी का सहेत – महेत ही श्रावस्ती है, निशाना सही था, एक साल तक खुदाई कराई और गंध कुटी मिल गई।


फाहियान ने लिखा है कि गंध कुटी के आसपास सदाबहाटी में बुद्ध का आवास था, यहीं बुद्ध सबसे अधिक रहे, यहीं बुद्ध सबसे अधिक बोले भी थे।र वृक्षों के वन थे, रंग – बिरंगे फूल खिले थे, गंध के मारे वातावरण महमह था, इसीलिए वह गंध कुटी थी। जेतवन के ठीक बीचों – बीच गंध कुटी थी, गंध कुफाहियान ने बताया है कि यहीं बुद्ध सबसे अधिक 25 वर्षावास बिताए थे, यहीं बुद्ध सबसे अधिक 844 सुत्तों का देशना दिए थे।


जेतवन के भीतर अनाथपिंडिक ने भिक्खुओं के लिए विश्राम – गृह भी बनवाए थे, विहार नं. 19 के ध्यान – कक्ष से नींव में दबा हुआ एक ताम्रपत्र मिला है, ताम्रपत्र ध्यान – कक्ष के उत्तर- पश्चिमी कोने से मिला है, जेतवन लिखा है। ताम्रपत्र ने साफ कर दिया कि असली जेतवन यहीं है, धुंध साफ हुआ वरना जेतवन कहाँ – कहाँ खोजा जा रहा था। ताम्रपत्र सवा दो फीट ऊँची मिट्टी के एक संदूक में था, ताम्रपत्र 18 इंच लंबा,14 इंच ऊँचा और चौथाई इंच मोटा है, 27 पंक्तियाँ लिखी हुई हैं।
यह ताम्रपत्र गहड़वाल नरेश गोविंदचद्र का है, नरेश की मुहर लगी है, वाराणसी से जारी किया गया है, ताम्रपत्र पर संवत् 1186 आषाढ़ पूर्णिमा दिन सोमवार अंकित है। याद कीजिए कि आषाढ़ पूर्णिमा कौन – सा दिन है, वहीं गुरु पूर्णिमा, इसी दिन बुद्ध ने सारनाथ में पहली बार गुरुपद से ज्ञान दिया था, इस दिन गुरु को सम्मानित किया जाता है।


ठीक इसी गुरु पूर्णिमा के दिन राजा गोविंदचद्र ने जेतवन के भिक्खु संघ को गुरु मानते हुए 6 गाँवों की आय दान में दिए थे, गुरु पूर्णिमा का इतिहास इससे पता चलता है। कौन थे गोविंदचद्र, वहीं राजा जयचंद्र के दादा, वहीं राजा जयचंद्र जिसे भारतवासी हिकारत से गद्दार कहते हैं, जिनके बाप – दादों ने बौद्ध धम्म की भरपूर सेवा की।
खुद जयचंद्र ने भी बौद्ध धम्म की अनेक सेवाएँ दी, बोध गया से प्राप्त अभिलेख इसकी पुष्टि करता है। जय जयचंद्र!!! ( तस्वीरें गंध कुटी और जेतवन विहार की हैं। )

– डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *