अयोध्या मंदिर: समतलीकरण के दौरान मिले अवशेष पर उठे सवाल

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अयोध्या में श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने दावा किया है कि मंदिर परिसर के समतलीकरण के दौरान पुराने मंदिर के तमाम अवशेष मिले हैं.

ट्रस्ट ने ज़िलाधिकारी की अनुमति से 11 मई से वहां समतलीकरण का काम शुरू किया है.

ट्रस्ट की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि समतलीकरण के दौरान काफ़ी संख्या में पुरावशेष, देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां, पुष्प कलश, आमलक आदि कलाकृतियां निकली हैं.

ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने मीडिया को बताया, “अब तक 7 ब्लैक टच स्टोन के स्तंभ, 6 रेडसैंड स्टोन के स्तंभ, 5 फुट के नक्काशीनुमा शिवलिंग और मेहराब के पत्थर आदि बरामद हुए हैं. समतलीकरण का कार्य अभी प्रगति पर है.”

ट्रस्ट की ओर से मंदिर के पुरावशेषों को राम मंदिर का प्रमाणिक तथ्य बताया जा रहा है. समतलीकरण का काम रामजन्मभूमि में उस स्थान पर कराया जा रहा है, जहाँ सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से पहले रामलला विराजमान थे.

अयोध्या राम मंदिर: समतलीकरण के दौरान मिले अवशेष पर उठे सवाल

अयोध्या मंदिर परिसर में समतलीकरण के दौरान मिली जिस अष्टकोणीय कला को लोग शिवलिंग बता रहे हैं, वह वस्तुतः मनौती स्तूप ( Votive Stupa) है। – Dr Rajendra Prasad Singh

बौद्ध धर्म से जुड़े लोगों का कहना है :

अयोध्या में मंदिरपरिसर के समतलीकरण के दौरान मिले पुरावशेष‌ बौद्ध धर्म से जुड़े हैं कुछ लोग जहां इसे 2000 साल पुराना और विक्रमादित्य के शासनकाल के दौरान बनवाए गए राममंदिर के अवशेष बता रहे हैं वहीं कुछ का कहना है यह सम्राट अशोक के शासनकाल में बने बौद्ध मंदिरों के अवशेष हैं। अब इस बात को लेकर बहस छिड़ गयी है कि जो भी पुरावशेष मिले हैं वे मंदिर से जुड़े हैं या फिर बौद्ध विहार से। इस बीच मुस्लिम पक्ष ने दलील दी है कि ये मूर्तियां राम मंदिर का अवशेष नहीं हैं।

▪ राम मंदिर निर्माण समतलीकरण के दौरान मिली खंडित मूर्तियों के अवशेष से विवाद पैदा हो गया है। सोशल मीडिया से लेकर आमजन तक में मूर्तियों पर तरह-तरह की बयानबाजी जारी है। ट्विटर पर हैशटैग #बौद्धस्थल_अयोध्या ट्रेंड कर रहा है। जबकि कुछ लोगों का दावा है कि अवशेष सम्राट अशोक के शासनकाल के दौरान में बने बौद्ध बिहारों का है। ट्विटर यूजर ने यूनेस्को से रामजन्मभूमि परिसर की निष्पक्ष खुदाई की मांग की है। लोगों का कहना है कि यह शिवलिंग नहीं बल्कि बौद्ध स्तंभ हैं। ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल के महासचिव खालिक अहमद खान ने कहा है कि यह यह अवशेष बौद्ध धर्म से जुड़े हैं।

▪ समतलीकरण के दौरान मिले अवशेष को जहां राम मंदिर ट्रस्ट ने मंदिर के अवशेष और खंडित मूर्तियां बताया है। वहीं मुस्लिम पक्ष और अयोध्या विवाद में सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि यह सब प्रोपगेंडा है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि एएसआई के सबूतों से यह साबित नहीं होता है कि 13वीं शताब्दी में वहां कोई मंदिर था। उन्होंने कहा यह सब चुनावी फायदा लेने की कोशिश के तहत किया गया प्रचार है। अयोध्या के पुरातत्वविद केके मुहम्मद ने दावा किया था कि रामजन्मभूमि परिसर में समतलीकरण के बाद मिलीं प्रतिमाएं आठवीं शताब्दी की हैं। उनका दावा है कि यहां रामदरबार भी मिला। हालांकि, इसके मिलने का दावा ट्रस्ट ने नहीं किया है।

▪ बौद्ध धर्म से जुड़े लोगों का कहना है कि यह पुरावशेष वास्तव में सम्राट अशोक के पौत्र बृहदत्त के काल के उन बौद्ध मंदिरों और स्तूपों के हैं जिन्हें बृहदत्त के सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने धोखे से हत्या करने के बाद उन मंदिरों और स्तूपों का विध्वंस कर दिया था। भला इस मामले में अयोध्या के विनीत कुमार मौर्य ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी। जिसमें कहा गया था कि विवादित स्थल के नीचे कई अवशेष दबे हुए हैं जो अशोक काल के हैं और यह बौद्ध धर्म से जुड़े हैं। बाबरी मस्जिद के निर्माण से पहले उस जगह पर बौद्ध धर्म से जुड़ा ढांचा था। एएसआई की खुदाई से पता चला है कि वहां स्तूप, गोलाकार स्तूप, दीवार और खंभे थे जो किसी बौद्घ विहार की विशेषता होते हैं। दावा किया गया था, ‘जिन 50 गड्ढों की खुदाई हुई है, वहां किसी भी मंदिर या हिंदू ढांचे के अवशेष नहीं मिले हैं ।
▪ अभी तक राम से जुड़े कोई भी पुरावशेष प्राप्त नहीं हुए हैं । भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग सच्चाई छुपाने की कोशिश कर रहा है । वहां पर मौजूद साधु संत पुरावशेष देखकर नई नई झूठी कहानियां गड़ रहे । पुरावशेष के बारे में अभी तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने कोई जानकारी नहीं दी ।

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